जनचेतना/मथुरा ब्यूरो/श्याम बिहारी भार्गव
ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय, जो ब्रज की ऐतिहासिक संस्कृति और जीवनशैली को प्रदर्शित करता है, अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संग्रहालय में ब्रज के रहन-सहन, खान-पान, और उपयोग में आने वाली वस्तुओं का संग्रह और प्राचीन ग्रामीण परिवेश को भी प्रदर्शित किया गया है। गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य ब्रज संस्कृति की महत्ता और संरक्षण पर विशेष चर्चा करना था। इस कार्यक्रम में प्रमुख वक्ताओं ने ब्रज की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसकी प्राचीन कला एवं शिल्प पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए। ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय के संस्थापक, डॉ. उमेश चंद शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा, “संग्रहालय न केवल ब्रज की संस्कृति को संजोने का प्रयास है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी इसकी महत्ता से अवगत कराने का एक प्रयास है। हमारा उद्देश्य ब्रज को एक जीवित संग्रहालय के रूप में प्रस्तुत करना है, जहां हर वस्तु और पेड़ ब्रज की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की कहानी कहते हैं।“ उन्होंने संग्रहालय के योगदान और उसकी भविष्य की योजनाओं पर भी प्रकाश डाला।
इस अवसर पर डॉ0 धनेश अग्रवाल ने ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय द्वारा ब्रज संस्कृति के लिए किये जा रहे प्रयास की सराहना की तथा ब्रज में बने संग्रहालय से ब्रज की धरोहर को बचाने हेतु बहुत अच्छी पहल है ब्रज की देशी गायों को भी यहां स्थान दिया गया है। उन्होंने गाय पालन को प्रोत्सान मिलेगा तथा गाय के दूध से बने उत्पादों को भी जनमानस के बीच बनाये रखने का प्रयास करने की आवष्यकता है। ब्रज की प्राचीन कला तथा ब्रजभाषा को भी जीवित प्राणियों में जागृत् किया जाये।
इस अवसर पर बिहारी लाल चतुर्वेदी ने ब्रज की संस्कृति एवं यहां के रहन-सहन का स्तर आदिकाल से अपने आप में अनूठा रहा है। यहां की संस्कृति में भक्ति, प्रेम और समर्पण की भावनाएं समाहित हैं। कृष्ण कालीन धरोहरें आज भी ब्रज चौरासी कोस की परिधि में आज भी मौजूद हैं। ब्रज का रहन-सहन बड़ा ही सादा सीधा रहा है, यहां का जीवन उच्च विचारों का द्योतक है। बोलचाल की भाषा में ब्रजभाषा बहुत ही सरल और आत्मीयता से ओतप्रोत होने के कारण विश्व में प्रसिद्धि लिए हुए है जैसे कि ‘‘सब भईयन कूं राम राम’’।
ब्रज लोक कला एवं शिल्प संग्रहालय, मथुरा के संचालक सुनील शर्मा ने कहा कि भारतीय संस्कृति का आधार ब्रज संस्कृति है ब्रज क्षेत्र ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है। ब्रज क्षेत्र का एक अनूठा संग्रहालय है, यहां ब्रज क्षेत्र के जीवन को दर्षाने का प्रयास किया गया है, संग्रहालय में यहां की जीवन शैली, ग्रामीण परिवेश तथा पूर्व का रहन-सहन, खान पान की रसोई घर तथा यहां के पहनावे को भी स्थान दिया गया है। उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण क्षेत्र ब्रज जहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ है तथा यह भूमि उनके तथा राधा जी की रास लीला स्थली होने के चलते रास लीलाओं में प्रयोग होने वाले वस्त्र, वाद्य यन्त्रों को प्रदर्शित किया गया है। हमें उसके सामाजिक जीवन की गहराई तक ले जाने के लिए या उसे जानने समझने के लिए यह संग्रहालय एक दर्पण का कार्य कर रहा है। ब्रज संस्कृति को जानने के लिए तथा यहां के जीवन को समझने के लिए संग्रहालय का अवलोकन अवश्य करना चाहिए।
उक्त संग्रहालय का लोकार्पण उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद् के उपाध्यक्ष श्री शेलजाकान्त मिश्र जी ने किया था तब से संग्रहालय में अनेक विद्यालयों स्कूल कॉलेजों के छात्र तथा यात्री परदेशी भी निरन्तर संग्रहालय का अवलोकन कर रहे हैं।
इस अवसर पर डॉ0 सी. के. उपमन्यु, दीपक गोस्वामी, चित्रकार उमा शर्मा, श्रेया शर्मा, श्रीमती अलका सिंह, कवि अषोक अज्ञ, ब्रषभान गोस्वामी, पवन गोतम, श्रीमती श्रुति शर्मा, हेमेन्द्र गर्ग, श्याम बिहारी भार्गव, अमित शर्मा आदि की प्रमुख रूप से उपस्थिति रही।