शिवसेना के अल्पसंख्यक आघाडी और अनुसूचित आघाडी के नेता जुबेर खान और सौरभ बोरकर ने नेताओ के बदलते राजकीयकरण पर की टिपण्णी
जनचेतना/गोंदिया :- हाल ही मे महाराष्ट्र के लोकसभा चुनाव का नतीजा देखते हुए बीजेपी को रामराम करते हुए बड़े-बड़े नेता अपने घर वापसी कर चुके हैं अभी हाली मे बीजेपी के वरिष्ट नेता रमेश कुथे ने बीजेपी को रामराम किया और मुंबई जाकर अपने पुराने पक्ष शिवसेना उबाठा मे वापसी किए और अभी पूर्व विधायक गोपालदास अग्रवाल ने बीजेपी को तलाक दे दिया है 13 तारिख को वह अपने पुराने पक्ष कांग्रेस मे प्रवेश किए है।
सुने मे आ रहा है कि वर्तमान के विधायक विनोद अग्रवाल भी अपने पुराने पक्ष बीजेपी मे जाने वाले है ऐसे मे चाबी संगठन का क्या होगा यह एक सोचने का विषय है। क्योकि 2019 के विधानसभा के लिए चाबी संगठन तैयार किया गया था ऐसे मे चाबी संगठन समाप्त करना मतलब जनाता के साथ धोका करने के बराबर होगा. अभी कि स्थिती मे विनोद अग्रवाल का कोई जवाब नही आया है की वह बीजेपी मे प्रवेश कर रहे है। क्या नही और इतना समय क्यो लगा रहे है। क्यो कि उनकी मानसिकता नही है कि वह बीजेपी से चुनाव लड़े क्योंकि वह यह बात जानते है कि मुस्लिम समाज और दलित समाज के वोट उन्हें नहीं मिलने वाले हैंऔर यही दो समाज के वोट बैंक के दम पर 2019 का चुनाव जीते थे और यही दो समाज ने गोपालदास अग्रवाल जो बीजेपी से चुनाव लड़े थे उन्हे करारी हार दी थी यह बात उन्हें समझ में आ गई है इसलिए वह कांग्रेस पार्टी में चले गए है क्योंकि यह बात जान चुके हैं कि मुस्लिम और दलितो के वोट बीजेपी पार्टी को नहीं पढ़ते ,और कहीं ना कहीं विनोद अग्रवाल भी यह बात जानते हैं इसीलिए वह फैसला नहीं ले पा रहे हैं यह है दो समाज जय भीम जय मीम का वोट बैंक का पावर ,क्योंकि इस बार यह दो समाज महाविकास आगाड़ी के साथ में खड़ा है और पूरे महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी का परचम लहराने से कोई नहीं रोक सकता.