‘रासगीत’ के अद्भुत मंचन से द्वापर युगीन लीला का आभा; सगीता शोध संस्थान में एक माह की रासलीला की कार्यशाला के समापन पर ‘गोपीगीत’ का भव्य रचनाओं पर तैयार कराया गया

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जनचेतना /मथुरा ब्यूरो/श्याम बिहारी भार्गव

उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के अंतर्गत शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी वृंदावन ने भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय लखनऊ और एन के ग्रुप वृंदावन के सहयोग से एक माह की रासलीला कार्यशाला का सफल आयोजन किया। कार्यशाला के अंतिम दिन प्रशिक्षित बच्चों ने गोपीगीत का मंचन कर अपनी अभिनय कला का अद्भुत परिचय दिया। गोपीगीत के मंचन के लिए स्व छैल बिहारी उपाध्याय “छैल” की लिखित पुस्तक से पद चयनित किए गये।
रासलीला का मंचन 26 जून को गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी परिसर स्थित ओपन एयर थिएटर( मुक्ताकाशीय रंगमंच) पर किया गया। मंचन कार्यशाला में 35 बालक- बालिकाओं ने भाग लिया।


मंचन की शुरूआत उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एसबी सिंह ने दीप प्रज्वलन कर की। परिषद के अन्य अधिकारीगण पर्यावरण विशेषज्ञ मुकेश शर्मा, तकनीकी विशेषज्ञ आरके जायसवाल, ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा उमेश चंद्र शर्मा, संस्थान के निदेशक दिनेश खन्ना, सहायक इंजीनियर आरपी यादव, साहित्यकार कपिल देव उपाध्याय, समाजसेवी रामकृष्ण अग्रवाल ब्राह्मण सभा के अध्यक्ष सत्यवान शर्मा आदि दीप प्रज्वलन में उपस्थित रहे। इस उपलक्ष्य में कार्यशाला व मंचन की पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। भव्य मंच को ब्रज वन के रूप में सजाया गया था। बच्चों ने भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय से पधारीं डा मीरा दीक्षित के निर्देशन में कथक नृत्य किया।


मंचन का निर्देशन गीता शोध संस्थान एव॔ रासलीला अकादमी के निदेशक प्रो दिनेश खन्ना ने किया। आलेख डा उमेश चंद्र शर्मा ने लिखा। संयोजन और संचालन संस्थान के समन्वयक चन्द्र प्रताप सिंह सिकरवार ने किया। उन्होंने एन के ग्रुप और भातखण्डे विवि की कुलपति का सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। एन के ग्रुप की ओर से साहित्यकार कपिल देव उपाध्याय ने स्क्रिप्ट तैयार कराने में मदद की। मंचन व प्रशिक्षण में हारमोनियम पर आकाश शर्मा, तबला एवं पखावज पर सुनील कुमार पाठक, सारंगी पर मनमोहन कौशिक, गायन में धनंजय शर्मा एवं वंशी पर दीनानाथ चरण दास तथा थ्योरी/स्क्रिप्ट पर जगदीश प्रकाश पथसारिया ने प्रशिक्षण दिया। लखनऊ व आजमगढ़ से आये सुग्रीव, रणधीर व प्रशांत ने मंच सजाया। रितु सिंह ने वस्त्र विन्यास किया।