चुनाव करीब आते ही नेताओं में श्रेयवाद की स्पर्धा : मतदाता संभ्रमित
अनंत चेतना/गोंदिया/सचिन बोपचे :- महाराष्ट्र की सरकार को या फिर केंद्र की सरकार हो जब-जब वह कोई योजना लागू करती है या सामाजिक प्रश्नों का सरकार निराकरण करती है तब नेताओ में श्रेयवाद की रेस शुरू हो जाती है.ऐसा प्रतीत होता है की नेताओ ने ही यह कार्य किया है और जनता और मतदाताओं में यह संभ्रम चलते रहता है. हाल ही जनता के विधायक कहेजाने वाले विधायक विनोद अग्रवाल ने बजट के पूर्व एक प्रेस नोट जारी किया जिसमे उन्होंने राज्य सरकार से मध्यप्रदेश में चल रही मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना महाराष्ट्र में भी शुरू की जाए ऐसी मांग की थी जिसमे सरकार ने सकारात्मकता दिखाते हुए अंतिम बजट में घोषणा भी कर दी जिसके लिए विधायक विनोद अग्रवाल ने सरकार का आभार भी माना.
अनेक समाचार पत्रों में विधायक विनोद अग्रवाल के प्रति समाचार भी प्रकाशित हुए जिसमे कहा गया की विधायक विनोद अग्रवाल की सरकार सुनती है. लेकिन उसी योजना के श्रेयवाद में पूर्व विधायक गोपालदास अग्रवाल ने भी जनता को यह बताना शुरू कर दिया की यह योजना पहले ही शुरू की जानेवाली थी और अभी घोषणा की गई साथ ही घोषणा होने के बाद में विधायक विनोद अग्रवाल ने लाडली बहना योजना के दस्तावेज़ कम और आयु सीमा को बढाने के लिए महाराष्ट्र सदन में मांग रखी उसके बाद फिर पूर्व विधायक गोपालदास अग्रवाल ने सोशल मिडिया के माध्यम से प्रेस नोट प्रकाशित करने के लिए समाचारपत्र में भेज दिया हालांकि वह प्रेस नोट सभी जगहों पर प्रकाशित नही हो पाई.लाडली बहना योजना को लेकर अनेक भावी नेताओ के विधायक पद के लिए उम्मीदवारों के बैनर लगना शुरू हो गए जिससे जनता में काफी संभ्रम फ़ैल रहा है. शिवसेना (शिंदे सेना) के जिला प्रमुख ने भी अनेक जगहों पर बैनर लगाए.जिला परिषद के अध्यक्ष पंकज रहांगडाले, जिला परिषद के बांधकाम सभापती के द्वारा भी बैनर लगाए गए ऐसे अनेक जनप्रतिनिधी अभी चुनाव को ध्यान में देखते हुए बैनरबाजी की ओर अग्रसर भूमिका में है.
गौरतलब है की किसी भी योजना को लेकर या जटिल समस्या या विकासकार्य को लेकर गोंदिया में श्रेय लेने की श्रेणी में नेता शामिल हो जाते है. विगत अनेक दिनों से किसानो के खाते में रबी धान की फसल का भुगतान नही हुआ था. हाल ही में सरकार ने रबी धान के भुगतान के लिए राशि जाहिर की और फिर से नेताओ के द्वारा फिर से बैनर लगना सोशल मिडिया में श्रेयवाद की राजनीती छिड़ गई है. पूर्व सांसद ने २ दिन पूर्व ही इस विषय को लेकर प्रेस नोट जारी कर दिया की हमारे प्रयत्नों से सरकार ने यह कदम उठाया. दुसरी तरफ राष्ट्रवादी के नेता तथा विधायक का मानना है की पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रवादी के नेता प्रफुल पटेल ने यह कार्य किया है ऐसे मोरगाव अर्जुनी के विधायक मनोहर चंद्रिकापुरे के सुपुत्र सुगत चंद्रिकापुरे ने सोशल मिडिया के माध्यम से जारी किया है साथ ही अन्य नेताओ ने भी इसका श्रेय लेना शुरू कर दिया है.
महाराष्ट्र में आनेवाले ३ महीने के भीतर में विधानसभा के चुनाव संपन्न होनेवाले है उसके पूर्व अनेक योजनाओ की घोषणा सरकार ने कर दी है. योजनाओ को लेकर नागरिको में भ्रम फैला हुआ है और योजना का लाभ लेने के लिए सेतु केंद्र में महिलाओ की भीड़ देखने मिल रही है मगर देखना यह होगा की सरकार को इसका फायदा क्या महाराष्ट्र की महायुती सरकार को होगी. महाराष्ट्र में दो गठबंधन के बीच में चुनाव होनेवाले है एक ओर में भाजपा, शिवसेना (शिंदे) राष्ट्रवादी (अजित पवार) यह महायुती में है और दुसरी तरफ कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राष्ट्रवादी (शरदचंद्र पवार) महाविकास आघाडी गठबंधन में है. लोकसभा के चुनाव में महाविकास आघाडी ने महारथ हासिल कर ३० सीट पर कब्ज़ा कर लिया है वही महायुती की सरकार केंद्र और राज्य में होने के बाद भी राज्य में १७ सीट पर ही वह कब्ज़ा कर पाए. आगामी विधानसभा चुनाव में क्या परिवर्तन होगा और इस परिवर्तन में किसकी सरकार महाराष्ट्र में स्थापित होगी यह जनता के ऊपर निर्भर करता है क्योंकी महाराष्ट्र के राजनीती में जो उतार चढ़ाव देखने को मिले और दल- बदलते हुए नेताओ के रुख को देखते हुए परिणाम कैसे होगे यह आनेवाले चुनाव में ही स्पष्ट हो पाएगा.