जनचेतना/मथुरा ब्यूरो/श्याम बिहारी भार्गव
महंगाई से मिलावट खोरी को पर लग गये हैं। जरूरतमंद लोग यह समझने के बावजूद कि इतना सस्ता सामान वह खरीद रहे हैं वह शुद्ध नहीं हो सकता, मजबूरी में सेहत का सौदा कर रहे हैं। दुकानों से लेकर ठेल ढकेलों तक खाद्य पदार्थों में मिलावट है। मिलावटी खाद्य पदार्थों पर संबंधित विभाग के द्वारा छापामार कार्रवाई की जाती है लेकिन इसका असर कुछ नहीं होता। मिलावटखोरों को कोई रणनीति बनाने की भी जरूरत नहीं रही है, मजबूरी में लोग सस्ता सामान तलाशते हैं। पनीर 150 रुपये से 350 रुपये किलो तक बाजार में मिल रहा है, लोग फर्क समझते हैं पर सस्ता खरीदते हैं। वहीं आम आदमी अपनी जेब के बोझ को कम करने के लिए सस्ते पनीर की ओर भागता है। वहीं घी में भी कई प्रकार की वैरायटी बाजार में हैं। बाजार में 600 रुपए किलो से लेकर 1200 रुपये किलो तक घी मिल रहा है।
साथ ही कई प्रतिष्ठित कंपनियों के द्वारा हजार रुपये किलो तक घी का विक्रय किया जा रहा है, पूजा के नाम पर 200 से 250 रूपये किलो भी घी मिल जाता है। वहीं जब इस संबंध में गौ पालन करने वाले साधु महंत मोहिनी बिहारी शरण से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि पनीर, घी और खोआ यह ऐसी वस्तु हैं जिसमें मिलावट खोर मिलावट कर बाजार में सस्ते दामों में विक्रय करते हैं और साथ ही बड़े बड़े प्रतिष्ठान अपनी अच्छी क्वालिटी की बात कह कर महंगे दामों पर विक्रय करते हैं। आज आम आदमी जेब के बोझ को कम करने के लिए मिलावटी वस्तुओं का प्रयोग कर रहा है। वहीं उन्होंने बताया कि आए दिन सुनने को मिलता है कि मिलावटी वस्तुओं के सेवन करने से कई लोग बीमार हो जाते है। उन्होंने साफ तौर पर संबंधित विभाग को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है।