जनचेतना/ मथुरा ब्यूरो/श्याम बिहारी भार्गव
स्ट्रीट चिल्ड्रेन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस हर साल 12 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन सड़क पर रहने वाले बच्चों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाने और उनके समावेशन और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। स्ट्रीट चिल्ड्रन को 18 वर्ष से कम उम्र के उन बच्चों के रूप में परिभाषित किया गया है जो सड़कों पर या अस्थायी शिविरों में रहते हैं और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा या पर्यवेक्षण नहीं दिया जाता है। वे अक्सर भूख, बेघरता और हिंसा का अनुभव करते हैं और विभिन्न सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करते हैं।
सड़क पर रहने वाले बच्चों के भी स्कूल छोड़ने और अवैध गतिविधियों में शामिल होने की अधिक संभावना है। मथुरा जनपद में बाल अधिकार कार्यकर्ता सतीश चंद्र शर्मा सड़क एवम झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले सैकड़ो बच्चो को शिक्षा संस्कार एवम समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य सतत रूप से वर्ष 2008 से कर रहे है।बाल अधिकार कार्यकर्ता सतीश चंद्र शर्मा कहते है यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि दुनियां के सबसे बडे लोकतंत्री में दुनियां का सबसे बडा मुद्दा कभी चुनावी मुद्दा नहीं बन सका। इस ओर राजनीतिक दलों और आम नागरिकों को ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया हर साल 12 अप्रैल को स्ट्रीट चिल्ड्रेन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाती है।
इस दिन की शुरुआत सड़क पर रहने वाले बच्चों की आवाज़ उठाने के लिए की गई थी। ऐसा इसलिए ताकि उनके अधिकारों की अनदेखी न की जा सके. यह दिन मानवाधिकार संगठनों को दुनिया भर में सड़क पर रहने वाले बच्चों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता फैलाने का अवसर प्रदान करता है। सरकारों, मानवाधिकार निकायों और व्यक्तियों के केंद्रित प्रयासों से, सड़क पर रहने वाले बच्चों का पुनर्वास किया जा सकता है और उन्हें प्यार भरे घरों में रखा जा सकता है। सुरक्षित घर ढूंढने के साथ-साथ, उन्हें शिक्षित करना, उन्हें चिकित्सा सुविधाएं देना और बेहतर आजीविका के लिए कौशल सिखाना भी है।