जनचेतना/देश/सचिन बोपचे
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में बरी किए गए दोषी संथन का बुधवार (28 फरवरी) को निधन हो गया. संथन ने चेन्नई के राजीव गांधी जनरल अस्पताल में बुधवार सुबह उसने आखिरी सांस ली. अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि सुबह 7:50 बजे संथन ने दम तोड़ा. वह लिवर फेलियर के साथ क्रिप्टोजेनिक सिरोसिस से पीड़ित था. सूत्रों के मुताबिक, उसे 27 जनवरी को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
बताया गया है कि संथन उर्फ सुथेंथिराजा को गंभीर हालत में राजीव गांधी सरकारी जनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 55 वर्षीय संथन को तिरुचि के महात्मा गांधी मेमोरियल सरकारी अस्पताल से यहां रेफर किया गया था. वह राजीव गांधी की हत्या में रिहा किए गए छह दोषियों में से एक था जिन्हें पहले आजीवान कारावास की सजा सुनाई गई थी. 2022 में रिहाई के आदेश के बाद उसने घर वापसी की अपील करते हुए एक लेटर भी लिखा था.
नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया था। संथन को त्रिची सेंट्रल जेल परिसर में एक विशेष शिविर में रखा गया था। संथन की मौत से हत्याकांड की लंबी गाथा का एक और अध्याय बंद हो गया।
संथन लिवर समेत कई बीमारियों से थे परेशान
55 साल के संथन को लिवर संबंधी बीमारियों के चलते जनवरी में भर्ती कराया गया था। संथन अन्य कई बीमारियों से भी पीड़ित थे। संथन को जब अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तब सांस फूलने, पेट में पानी भरने और पूरे शरीर में सूजन की समस्या थी। अस्पताल के डीन ई. थेरानिराजन ने कुछ महीने इस बात की जानकारी दी थी। संथन की हालत बेहद गंभीर थी। बता दें कि संथन को मौत की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद 11 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर उनकी सजा को कम कर आजीवन कारावास में बदल दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने संथन समेत 5 अन्य लोगों को जेल से रिहा करने के आदेश दिए थे। इसमें इन लोगों ने 32 साल की सजा काटी थी। इन्हें अलग-अलग जेलों से रिहा किया। लेकिन संथन को त्रिची सेंट्रल जेल के स्पेशनल कैंप में रखा गया था। इसकी वजह ये थी कि संथन श्रीलंकाई नागरिक थे। संथन ने अदालत से अपील की थी कि उसे वापस श्रीलंका भेज दिया जाए। वो अपनी मां से मिलना चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने किया था 2022 में रिहा
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर, 2022 को राजीव गांधी हत्याकांड में उम्र कैद की सजा काट रहे 6 दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था. आदेश के अगले दिन नलिनी, श्रीहरन, संथन, रॉबर्ड पायस, जयकुमार और रविचंद्रन को 32 साल बाद जेल से रिहा किया गया था, लेकिन यहां एक पेंच फंस गया था. नलिनी और रविचंद्रन को अपने परिवार के पास मिलने की अनुमति दी गई लेकिन बाकी चार को त्रीची सेंट्रल जेल के स्पेशल कैंप में रख दिया गया. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि ये चारों श्रीलंकाई नागरिक थे.
संथन ने श्रीलंका जाने के लिए की थी अपील
तब संथन ने त्रीची जेल के स्पेशल कैंप में मौजूद अपने सेल से खुला पत्र लिखा था. इस पत्र में उसने कहा था कि वह धूप तक नहीं देख सकता. पत्र के जरिए उसने दुनिया भर के तमिलों से आवाज उठाने की अपील की थी ताकि वह अपने देश लौट सके. चेन्नई में विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) ने पिछले शुक्रवार को एक आदेश जारी कर संथन उर्फ सुथेनथिराजा को श्रीलंका वापस जाने की अनुमति दे दी थी, लेकिन बीमारी की वजह से वह नहीं जा सका.